Alka

Alka

Wednesday, 14 October 2015


          ई.पेपर, वेब-पोर्टल दे रहे अखबारों को चुनौती
 
जैसे एक विद्वान नए सिधांत को जन्म देता है चुकी हर एक चीज के दो पहलू होते है इसलिए उस सिधांत की खामियां एक दूसरे नये सिधांत को जन्म दे देती  है I
इसी तरह रेडिओ की खामियों ने टीवी को जन्म दिया, टीवी की खामियों ने कम्प्यूटर को जन्म दिया और कंप्यूटर की खामियों ने इंटरनेट का आविष्कार कर दिया I
यानी नयी पद्धति पुरानी पद्धति को थोडा या पूरी तरह से रिप्लेस करती है I
सोशल नेटवर्किंग साईट, ऑन लाइन विज्ञापन, वेब पोर्टल और ई.पेपर जैसी नयी तकनिकी ने अख़बारों को एक नयी चुनौती दी है जिससे अख़बारों में विज्ञापनों से होने वाली आमदनी में तो गिरावट दर्ज की गई है I क्या अख़बार के पाठकों में भी इसकी गिरावट आई है
सोशल मिडिया पर निगाह रखने वाली कम्पनी ‘’ वी आर सोशल ‘’ की रिपोर्ट के अनुसार- सोशल नेटवर्किंग के इस्तेमाल में मोबाइल फोन ने कम्प्यूटर और लैपटॉप को पीछे छोड़ दिया है I सोशल मिडिया पर फोन से मौजूदगी रखने वालों की संख्या 56% की दर से बढ़ रही है जबकि कम्प्यूटर और लैपटॉप के जरिये सोशल मिडिया पर एक्टिव यूजर्स की संख्या में मात्र 13 फीसदी की दर से बढ़ी है I  अपने स्मार्ट फोन में 3जी इंटरनेट या 4जी इंटरनेट प्लान की स्पीड से भले ही आप खुश हों लेकिन विश्व के अन्य बड़े देशों के मुकाबले मोबाइल पर एक्टिव इंटरनेट डाटा की औसत रफ़्तार में भारत काफी पीछे है I
सोशल मिडिया पर लोगों की बढती सक्रियता तो है लेकिन क्या वे ई.पेपर भी एक्सेस करते है I इस बात का अंदाज़ा लगाना कठिन है की आने वाले समय में समाचार पत्र बंद हो जायेगा क्यूकि विश्व की आबादी लगभग 7 अरब है और इंटरनेट पर सक्रीय केवल 3 अरब है I
व्यक्ति अपने आस-पास व् देश विदेश में घटित घटनाओं से परिचित होने के लिए समाचार पढता देखता व् सुनता है I
जहाँ तक अख़बारों पर आई चुनौती की बात है तो 100 लोगों पर किये गये शोध के अनुसार अभी भी ई.पेपर, वेब-पोर्टल के साथ-साथ 92% लोग समाचार पत्र पढ़ते है I ई पेपर लोग इसलिए पढ़ते है क्योंकि हर समय समाचार पत्र को अपने साथ कैरी नहीं किया जा सकता I
             



No comments:

Post a Comment