हमारे देश के विकास के लिए बनाई गई योजनाओं के स्लोगन जीतने अच्छे है उतना ही
अच्छा यदि विकास हो पता तो आज देश की शक्ल कुछ और ही होती.
तो मै अपनी टिप्पणी के शुरुआत
बेटी से करुँगी क्यूकि उनके शोषण को लेकर अखबार में हर दिन एक नया मुद्दा गरमाया
रहता है.
बेटी बढाओ बेटी बचाओ
कार्यक्रम जैसा की नाम से ही स्पष्ट हो रहा है बेटी पढाओ यानि बेटियों को पढाओ कोई
भी शिक्षा से वंचित न रह जाए, बेटी बचाओ किसी भी बेटी को कोई नुकसान ना पहुचे और
वो सुरक्षित रहे. लेकिन आप सब जानते है की आज कितनी बेटियां स्कूल पढने जाती है और
कितनी बेटियां सुरक्षित है.
सुकन्या सम्रद्दी खाता
योजना इसे बचत को प्रोत्साहन करने के लिए बनाया गया था लेकिन आधी जनता तो शायद इस
बात से ही वंचित होगी की ऐसी भी कोई योजना है या ये योजना क्या है.
नई मंजिल योजना, मेक इन
इंडिया योजना, सब पढ़े सब बढे ऐसी बहुत सी योजना लागू हुईं लेकिन इसका उतना प्रभाव
देखने को नहीं मिला जितना मिलना चाहिए.
और फिर उम्मीदों का प्रदेश
उत्तर प्रदेश क्या केवल उम्मीद ही लगाये रह जायेगा.